गांव-गांव में नीर और नारी की जल यात्रा का आगाज

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राजनांदगांव। जल है तो जीवन है कि गूंज पूरे राजनांदगांव जिले में सुनाई दे रही है। पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव के नेतृत्व में जल संरक्षण का संदेश देते हुए यह काफिला आगे बढ़ रहा है। नीर और नारी जल यात्रा, राजनांदगांव जिले के हर गांव में जल और जीवन के बीच के अटूट रिश्ते को पुनः स्थापित करने का संकल्प लेकर निकल पड़ी है। इस अभियान ने अब तक 50 से अधिक ग्राम पंचायतों को न केवल जागरूक किया है, बल्कि जल संरक्षण के लिए सशक्त प्रयास भी कर रही हैं। महिलाएं तपती धूप की परवाह किए बिना, दृढ़ संकल्प के साथ जल है, तो जीवन है का संदेश लेकर निकल पड़ी हैं।
पद्मश्री श्रीमती फूलबासन यादव ने पानी बचाने, पर्यावरण संरक्षण, वैकल्पिक खेती, स्थानीय जल संरचनाओं के निर्माण की जानकारी दे रही हैं। श्रीमती फूलबासन यादव ने कहा कि रबी के मौसम में धान की खेती ने गांव का जलस्तर समाप्त कर दिया है। हमें अपनी परंपरा और भविष्य के बीच संतुलन बैठाना होगा। अब वक्त है धान से हटकर वैकल्पिक फसलों की ओर बढ़ना है। माँ बम्लेश्वरी महिला समूह, बिहान समूह, बिहान कैडर, जनप्रतिनिधियों, जिला पंचायत और जनपद पंचायत के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से महिलाओं ने पर्कोलेशन टैंक, सोख्ता गड्ढा, नाला बंधान, पौधारोपण जैसे जल-संरक्षण के ठोस उपायों को लोगों के बीच सरल तरीके से बताया गया। कार्यक्रम के अंत में जब पूरे गांव ने एक स्वर में कहा कि हम जल बचाएंगे, पौधे लगाएंगे, एक-एक बूंद की रक्षा करेंगे, तो वो सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए एक वचन था। जिले में नीर और नारी जल यात्रा अब एक आन्दोलन का रूप ले चुकी है। यह सिर्फ महिलाओं का नेतृत्व नहीं, बल्कि पूरे समाज को दिशा देने वाला एक उदाहरण है। जब गांव की महिलाएं जागती हैं, तो समाज की चेतना भी जागती है। यह जल यात्रा नहीं, यह भविष्य की यात्रा है। आइए इससे जुड़िए और पानी को बचाइए, जीवन को सजाइए।