नगर पंचायत पटरी से उतरी, कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं, पुराने पार्षदों का मानदेय रूका

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अंबागढ़ चौकी। मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की एकमात्र नगरीय निकाय नगर पंचायत अंबागढ़ चौकी पटरी से उतर गई है। निकाय की माली हालत इतनी खराब है कि कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ गए है। नियमित कर्मचारियों को फरवरी माह से वेतन नहीं मिला है। पार्षदों को मानदेय लेने के लिए सालों से चक्कर काटना पड़ रहा है। यहां तक सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों का पेंशन के लिए सालों से अंशदान राशि जमा नहीं हुआ है और तो और प्लेसमेंट व नियमित कर्मचारियों की कई वर्षों से कर्मचारी भविष्य निधि व पेंशन अनुदान राशि ही जमा नहीं हुआ है।
नगर पंचायत अंबागढ चौकी विकास ही नहीं आर्थिक स्थितियों के मामले में भी काफी पिछड़ गई है। निकाय में चारों तरफ हाहाकार की स्थिति है। नई परिषद के सामने निकाय की स्थिति को ठीक करने के साथ पेयजल, स्वच्छता, प्रकाश, सड़क सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को पटरी पर लाने के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। नगर पंचायत की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़े हुए है। स्थापना व्यय इतना बढ़ा हुआ है कि निकाय बड़ी मुश्किल से प्लेसमेंट कर्मचारियों को वेतन दे पाती है, लेकिन उनका ईपीएफ राशि उनके खाते में नहीं डाल पा रही है, जिससे कर्मचारियो में भी आक्रोश की स्थिति बनी हुई है।
नगर पंचायत के पुराने पार्षदों का मानदेय पिछले एक वर्ष से अटका हुआ है। पिछली परिषद के पार्षद अपने मानदेय के लिए अपने कार्यकाल में चक्कर काटते रह गए, लेकिन उन्हे मानदेय नहीं मिल पाया। पार्षदों द्वारा ज्ञापन व शिकायत किए जाने के बाद भी फंड के अभाव में मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया। आश्चर्य की बात है कि पुराने पार्षद जब अपने कार्यकाल में अपना मानदेय नहीं मिल पाया तो अब पद से हटने के बाद कैसे अपना मानदेय ले पाएंगे, लेकिन पुराने पार्षदों के लिए राहत की बात यह है की नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी ने सीएमओ को निर्देश दिया है कि पहले पुराने पार्षदों का मानदेय का भुगतान कराए उसके बाद ही नए पार्षदों का मानदेय देने की सोचे।
नगर पंचायत के रेगुलर कर्मचारियों को फरवरी माह से वेतन नहीं मिल पाया है। इधर एक सप्ताह बाद अप्रेल माह गुजर जाएगा और कर्मचारियों का वेतन तीन माह का लटक जाएगा। इधर अभी वेतन कब तक मिल पाएगा, इसकी दूर-दूर तक की संभावना नहीं है। नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी ने सोमवार राजधानी रायपुर में नगरीय प्रशासन विकास विभाग के संचालक एवं अन्य अधिकारियों से भेंटकर भुगतान के लिए अनुदान देने की मांग रखी है। इधर कर्मचारियों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताया कि नियमित वेतन नहीं मिलने से उनके समक्ष जीविकोपार्जन करना कठिन हो गया है।
नगर पंचायत की आर्थिक स्थिति की अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि प्लेसमेंट कर्मचारियो का कर्मचारी भविष्य निधि में जमा होने वाली राशि को भी नगर पंचायत कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में जमा नहीं करा पाया है। सूत्रो के अनुसर यह राशि पचास लाख से भी कही अधिक है। इधर प्लेसमेंट कर्मचारी इस बात के लिए नाराज है कि उनकी ईपीएफ राशि सालों से खाते में जमा नहीं हो रही है। ऐसे में कभी कोई दुर्घटना होने पर या आपातकालिन स्थिति आने पर वह अपने खाते से कैसे पैसे निकाल पाएंगे। बताया जाता है कि रेगुलर कर्मचारियों के भी खाते में ईपीएफ व पेंशन अंशदायी राशि भी पिछले ५ वर्षों से जमा ही नहीं हुई है। यह राशि भी ६० लाख से अधिक की बताई जा रही है।
नगर पंचायत की माली हालत इतनी खराब है कि यहां पर चुनकर आई नई परिषद के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में नगारिकों के लिए बुलाए गए चाय-पानी व नाश्ता एवं स्वागत सत्कार के लिए बुलाए गए फूल-माला की राशि का भी भुगतान अटका हुआ है। बताया जाता है कि नगर पंचायत अध्यक्ष ने स्वयं शपथ ग्रहण के लिए नागरिकों को किए गए जलपान की व्यवस्था अपने पैसे खर्च कर सारी व्यवस्था की थी। अध्यक्ष ने सीएमओ को कहा था कि आप केवल टैंट शमियाना का ही भुगतान करा दे, शेष सारी व्यवस्था हम अपने खर्चे में कर लेंगे। बताया जाता है कि इसीलिए नगर पंचायत अपने नई परिषद के पदाधिकारियों को अपने कार्यालय के अंदर ही शपथ दिलाना चाह रहा था, लेकिन अध्यक्ष के अड जाने के बाद निकाय को शपथ ग्रहण कार्यक्रम खुले में कराना पड़ा।
नगर पंचायत की माली हालत खराब होने व निकाय की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बाद भी नगर पंचायत में वर्ष २०२० से २०२४ के मध्य निकाय को होने वाले आय का काफी पैसा फिजूल खर्ची एवं औचित्यहीन कार्यो में खर्च कर दिया गया। बताया जाता है की सीएमओ मर्टर व इंजीनियर मर्टर के साज सज्जा, कार्यालय के साज-सज्जा तथा टाउन हाल एवं अन्य भवनों के बार-बार रंग-रोंगन तथा डीजल सहित टैंकर एवं वाहनों के मरम्मत एवं नाली व सड़क मरम्मत तथा सामान खरीदी में लाखों रूपए व्यर्थ में उडा दिए गए।
नगर पंचायत का स्थापना व्यय इतना बढ़ा हुआ है कि कर्मचारियों को वेतन भुगतान के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार निकाय की स्थिति ऐसे है कि निकाय को रेगुलर कर्मचारियों को हर माह बारह लाख एवं प्लेसमेंट कर्मचारियों को प्रति माह तीन लाख रूपए वेतन में भुगतान करना पडता है, जबकि निकाय यदि सख्ती से वसूली भी करें तो हर माह निकाय को मात्र चार या पांच लाख रूपए की वसूली में प्राप्त हो पाती है। इसलिए कर्मचारियो के वेतन के मामले में निकाय को पुरी तरह राज्य शासन के अनुदान पर निर्भर रहना पडता है।
इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष अनिल मानिकपुरी का कहना है कि फिजूल खर्ची एवं औचित्यहीन कार्यो से जुड़े भुगतान को रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि दो वर्ष में निकाय की आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर वर्क प्रारंभ कर दिया गया है।