फायरिंग रेंज में फेंसिंग न बोर्ड, बिखरे मिले ग्रेनेड व कारतूस से खोखे, हाई एक्सप्लोसिव का भी इस्तेमाल

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डोंगरगांव (नांदगांव टाइम्स – घनश्याम साव) । तिलईरवार के फायरिंग रेंज में हुई घटना की वजह पुलिस की बड़ी लापरवाही है। रेंज में किसी तरह की फेसिंग नहीं है। कोई बोर्ड भी नहीं लगा है। इस संवेदनशील हिस्से में बच्चे आसानी से दाखिल हो रहे हैं।

सबसे गंभीर बात यह है कि फायरिंग के बाद यहां वेस्ट या डिफ्यूज विस्फोटकों को एकत्रित भी नहीं किया जा रहा है। भास्कर टीम सोमवार को तिलईरवार के फायरिंग रेंज में पहुंची। जहां इस्तेमाल किए गए कारतूस के खोखे और यूबीजीएल ग्रेनेड का वेस्ट मौके पर बिखरा मिला। इसी दौरान पुलिस के कुछ जवान पहुंचे। जिन्होंने जल्दीबाजी में आसपास में बिखरे विस्फोटको के वेस्ट को एकत्रित किया और एक प्लास्टिक के बैग में भरकर रवाना हो गए।

ग्रामीणों ने बताया कि सुबह ही फायरिंग रेंज में ही बोर्ड भी खड़ा कर दिया गया। लेकिन इस हिस्से में आम लोगों की आवाजाही को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पुरानी फेसिंग टूटकर बिखर चुकी है।इसके बाद रेंज में आवाजाही रोकने कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कारतूस के खाली खोखे एकत्रित करने की लालच में गांव के बच्चे रेंज में दाखिल हो रहे हैं। मुनादी नहीं हुई, आवाज सुनकर पहुंचे बच्चे गांव के सरपंच संतोष निषाद ने बताया कि उन्हें रविवार को रेंज में हुई फायरिंग की जानकारी नहीं है। पंचायत को इसकी सूचना नहीं दी गई थी, पूर्व में फायरिंग के पहले कोटवार के माध्यम से मुनादी करा दी जाती थी। लेकिन रविवार को हुई फायरिंग के बारे में ग्रामीणों को नहीं पता। आसापास के दूसरे लोगों ने बताया कि फोर्स के जवान दोपहर करीब 2 बजे फायरिंग के लिए पहुंचे थे। जो 4 बजे वापस लौट गए। इसी की आवाज सुनकर गांव के बच्चे रेंज की ओर आए थे।

लक्ष्य के हाथ में ग्रेनेड जैसे विस्फोटक फटा- लक्ष्य के हाथ यूबीजीएल ग्रेनेड जैसा ही विस्फोटक लगा था। जिसे हाथ में लेकर लक्ष्य अपने दूसरे साथियों के करीब आ रहा था। इसी दौरान ग्रेनेड जैसा विस्फोटक फट गया। लक्ष्य के साथ मौजूद रहे दूसेर बच्चों ने फटे विस्फोटक का टुकड़ा भी बरामद कर ग्रामीणों को दिखाया। हालाकि पुलिस अब तक स्पष्ट नहीं कर सकी है कि लक्ष्य के हाथ में कौन सा विस्फोटक फटा। इसे मौके पर क्यों छोड़ दिया गया था। इसकी जांच जारी होने का दावा किया जा रहा है। खेत जाने का भी रास्ता, सुरक्षित करना जरुरी तिलईरवार के ग्रामीणों ने बताया कि जिन हिस्से में फायरिंग रेंज बनाया गया है। वह खेत की ओर जाने का भी रास्ता है। गांव से महज आधा किमी. की दूरी पर रेंज हैं। इस हिस्से लोगों की आवाजाही भी बनी रहती है। ऐसे में इस पूरे हिस्से को सुरक्षा घेरे में लेने की जरुरत है। गांव के बच्चे भी इस हिस्से में खेलने पहुंच जाते हैं। ऐसी लापरवाही से हर समय बच्चों में खतरा बना रहता है।

डेढ़ महीने पहले भी मिला था जिंदा बम की शिकायत– ग्रामीणों ने बताया कि डेढ़ महीने पहले भी फायरिंग रेंज में बम मिला। जिसके साबूत होने की आशंका के बाद पुलिस को सूचना दी गई। जिसे तब पुलिस की टीम अपने साथ ले गई। तब ग्रामीणों ने दोबारा ऐसी लापरवाही रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के अफसरों से लिखित शिकायत भी की थी। लेकिन फायरिंग के बाद हो रही अनदेखी अब भी जारी है। फायरिंग कर लौट रही टीम नहीं फटने वाले विस्फोटकों को ढूंढने का प्रयास तक नहीं कर रही है। जो बच्चों के हाथ लग रहा है। छूटा बम फटने से तीन युवकों की हो की मौत तिलईरवार फायरिंग रेंज में 8 साल पहले भी बड़ी लापरवाही सामने आई थी। यहां रॉकेट लांचर से निकले विस्फोटक बिना फटे ही पेड़ में फंस गया। जिसे एकत्रित नहीं किया गया। यह पास ही के खम्हार गांव के तीन युवकों को हाथ लग गया। युवक इसे हाथ में लेकर देख रहे थे, तभी विस्फोटक में धमाका हो गया। जिससे तीनों युवक की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना के बाद भी ग्रामीणों में आक्रोश की स्थिति बनी थी। बावजूद इसके लापरवाही लगातार जारी है।

वर्सन – घटना की जांच की जा रही है घटना कैसे हुई , इसकी जांच की जा रही है। बच्चे के हाथ में कैसा विस्फोटक फटा, इसकी भी जांच हो रही है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। फायरिंग रेंज में फेंसिंग के लिए प्रस्ताव पूर्व में भेजा गया है। वर्तमान स्थिति की जानकारी ली जा रही है। राहुल देव शर्मा, एएसपी