‘विकसित किसान संकल्प अभियान’ के लिए रखे किसानों को अपनानी होगी नई तकनीक

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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में शुरू हुए ‘विकसित किसान संकल्प अभियान’ को लेकर ऑल वॉलंटरी एसोसिएशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. हेमशंकर जेठमल साहू ने भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस ऐतिहासिक अभियान में आमंत्रण प्राप्त करने पर उन्होंने इसे किसान कल्याण की दिशा में क्रांतिकारी कदम बताया और इसके लिए कई नवाचारपरक सुझाव प्रस्तुत किए। यह अभियान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय और जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।

सशक्तिकरण की पहल

डॉ. साहू ने बताया कि उनकी संस्था, ऑल वॉलंटरी एसोसिएशन फाउंडेशन, छत्तीसगढ़ के 30 जिलों में किसान उत्पादक कंपनियों (FPOs) के माध्यम से हजारों किसानों को संगठित कर रही है। ये कंपनियाँ उत्पादन, भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन और मूल्य संवर्धन में सहायता प्रदान करती हैं, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस अभियान के तहत FPOs को तकनीकी प्रशिक्षण, वित्तीय सशक्तिकरण और आधुनिक विपणन रणनीतियों से जोड़ा जाए ताकि छोटे और सीमांत किसानों को भी इसका लाभ मिले।

डिजिटल तकनीक और प्रशिक्षण पर जोर

डॉ. साहू ने अपने सुझावों में मृदा परीक्षण, जैविक खेती, आधुनिक सिंचाई पद्धतियों, कीट नियंत्रण और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण पर बल दिया। इसके साथ ही, उन्होंने डिजिटल तकनीकों, ई-मार्केटिंग, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और ब्रांडिंग-पैकेजिंग की ट्रेनिंग को शामिल करने की सिफारिश की ताकि किसान अपने उत्पादों को बेहतर कीमत पर बेच सकें।

लागत और जल प्रबंधन पर सुझाव

वित्तीय सशक्तिकरण के लिए डॉ. साहू ने कम ब्याज दर पर ऋण, फसल बीमा और वित्तीय नियोजन की सुविधाओं को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने जल प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और जैविक खाद के उपयोग को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव रखा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने “किसान नवाचार मंच” की स्थापना का सुझाव दिया, जहाँ परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का समन्वय हो सके।

देशव्यापी प्रभाव की उम्मीद

डॉ. साहू ने इस अभियान को छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक नया उजाला लाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यदि इस अभियान को योजनाबद्ध ढंग से लागू किया जाए, तो यह कृषि को लाभकारी और टिकाऊ क्षेत्र में बदल सकता है। उन्होंने इस पहल से जुड़े सभी नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और संस्थानों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।