राजनांदगांव। नेशनल फोरम ऑफ केवीके एंड एआईसीआरपी के प्रतिनिधियों ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आईजीकेवी) रायपुर के कुलपति को एक ज्ञापन सौंपकर केवीके अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ हो रहे संस्थागत भेदभाव और संवैधानिक अधिकारों के हनन के विरोध में मजबूत आपत्ति दर्ज कराई।
उन्होंने बताया कि केवीके कर्मचारियों को जीवीएफ/एनपीएस जैसी बुनियादी पेंशन योजनाओं से बाहर कर दिया गया है, जबकि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय के अधिनियम-1987 के तहत हुई है। मेडिकल भत्ता और अन्य वैधानिक लाभ जो पहले दिए जाते थे, अचानक बंद कर दिए गए। यह श्रम कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) को बिना किसी स्पष्टीकरण के समाप्त कर दिया गया, जिससे कर्मचारियों के करियर पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। विश्व विद्यालय के नियमों के विपरीत, केवीके कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष कर दी गई, जबकि अन्य विभागों में यह 62-65 वर्ष है। पेंशन, ग्रेच्युटी और मेडिकल सुविधाओं जैसे मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
कर्मचारियों के मुख्य मांगों में जीपीएस/एनपीएस, मेडिकल भत्ते और सीएएस योजना की तत्काल बहाली, विश्व विद्यालय के अन्य कर्मचारियों के समान सेवा शर्तें एवं समान दर्जा, सेवानिवृत्ति आयु को नियमानुसार 62 (गैर-तकनीकी) और 65 (तकनीकी) वर्ष किया जाए। केवीके को विश्व विद्यालय की विस्तार इकाई का आधिकारिक दर्जा दिया जाए।
नेशनल फोरम ने स्पष्ट किया कि यदि 30 दिनों के भीतर इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो केवीके कर्मचारी राज्य एवं राष्ट्रव्यापी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी विश्व विद्यालय प्रशासन की होगी। इसे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, केंद्रीय कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री, आईसीएआर और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों ने भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज, विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
