खैरागढ़। जनपद पंचायत छुईखदान में करोड़ों रुपये के कथित भुगतान घोटाले का मामला सामने आने के बाद भी दोषियों के विरुद्ध अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना कई सवाल खड़े कर रहा है। शासन की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति अब कटघरे में है।
गौरतलब है कि जून माह में इस घोटाले का खुलासा हुआ था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने जांच प्रक्रिया प्रारंभ की थी। लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई। हैरानी की बात यह है कि आज तक जांच समिति ने शिकायतकर्ता का बयान तक दर्ज नहीं किया है।
एकल हस्ताक्षर से हुआ करोड़ों का भुगतान
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत में विकास कार्यों की राशि बिना पंचायत की स्वीकृति के, एकतरफा निर्णय लेकर सीधे वेंडरों, ऑपरेटर और ग्राम सचिवों को वितरित कर दी गई। इस प्रक्रिया में नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई।
राजनीतिक संरक्षण का आरोप
इस मामले पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष गजेन्द्र ठाकरे ने भाजपा नेताओं पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि दोषी अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण कार्रवाई लंबित है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार में भी भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं होना दुर्भाग्यजनक है।
विधानसभा में उठा मामला, पर कार्यवाही पर चुप्पी
विधानसभा सत्र में खैरागढ़ विधायक द्वारा इस घोटाले का मुद्दा उठाया गया था। जवाब में उपमुख्यमंत्री और पंचायत मंत्री ने स्वीकार किया कि जनपद से सीधे वेंडरों को भुगतान हुआ है और प्रक्रिया में अनियमितता पाई गई है। इसके बावजूद दोषियों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इससे आमजन में यह धारणा गहराती जा रही है कि जीरो टॉलरेंस अब केवल एक राजनीतिक जुमला बनकर रह गया है।
निलंबन प्रस्ताव के बाद भी खामोश जिला प्रशासन
जनपद पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति ने 18 जून को बैठक कर सीईओ और ऑपरेटर को निलंबित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था। लेकिन अब तक न तो उस पर अमल किया गया और न ही संबंधित अधिकारियों को नोटिस भेजा गया।
न्यायालय की शरण में जाएंगे जनपद सदस्य
जनपद सदस्यों ने अब न्यायालय का रूख करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि जब शासन-प्रशासन दोषियों को बचाने में लगे हों, तब न्यायालय ही अंतिम विकल्प बचता है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि जिला पंचायत के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच कराई जाए।
आमजन में गहरा आक्रोश
जनता का कहना है कि यदि इस प्रकार घोटालों को नजरअंदाज किया जाता रहा तो शासन की साख पर बट्टा लगेगा। अब जरूरत इस बात की है कि शासन इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर तत्काल कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सके।