राजनांदगांव। कान्यकुब्ज सभा राजनांदगांव, नांदगांव साहित्य एवं संस्कृति परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्रा की 126वीं जयंती त्रिवेणी परिसर में मनाई गई। डॉ. मिश्रा जी की प्रतिमा में पुष्पांजलि अर्पित कर उनके साहित्यिक योगदान को स्मरण किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित पूर्व सांसद एवं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष मधुसूदन यादव ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि डॉ. मिश्रा ने संस्कारधानी का गौरव बढ़ाया है तथा त्रिवेणी परिसर के तीनों मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्रा जी, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी एवं गजानन माधव मुक्तिबोध जी के साहित्य को समसामयिक बताया एवं इस संस्कारधानी को जो साहित्य विभूतियों की जन्म एवं कर्मभूमि है, इस पर स्वयं को पाकर गौरवान्वित महसूस किया। कान्यकुब्ज सभा के अध्यक्ष एवं मिश्र जी के पौत्र प्रदीप मिश्रा (सेवानिवृत्ति डीएसपी) ने प्रतिमाओं के ऊपर छत निर्माण एवं परिसर के सौंदर्यीकरण की मांग रखी, जिसे संवेदनशीलता से पूर्व सांसद ने हमने ही निर्माण किया है, हम ही सवारेंगे की तर्ज पर मांगों को सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी परिसर की परिकल्पना प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के पूर्व कार्यकाल में साकार हुई थी। त्रिमूर्ति के ऊपर छत निर्माण तथा परिसर के सौंदर्यीकरण के प्रति हम कृत-संकल्पित हैं। सभा को डॉ. शंकर मुनि राय विभागाध्यक्ष हिंदी, दिग्विजय महाविद्यालय, अखिलेश तिवारी अध्यक्ष नांदगांव साहित्य एवं संस्कृति परिषद, अजय शुक्ला सचिव कान्यकुब्ज सभा राजनांदगांव ने संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर आरपी दीक्षित संरक्षक, प्रभात तिवारी, वीडी तिवारी, जगदीश प्रसाद मिश्रा, संजीव मिश्रा, भूपेंद्र बाजपेई, शैलेश शुक्ला, कमल सोनी, मनीष मिश्रा एवं बड़ी संख्या में दिग्विजय महाविद्यालय के छात्र उपस्थित थे। आयोजन के अंत में प्राध्यापक डॉ. शंकर मुनि राय एवं डॉ. श्रीमती नीलम तिवारी ने छात्रों को डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र, डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी एवं डॉ. गजानन माधव मुक्तिबोध के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से छात्रों को अवगत कराया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की सीख दी।
त्रिवेणी परिसर की परिकल्पना डॉ. रमन ने साकार की : मधुसूदन यादव
