फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षक, आर्डियोलॉजिकल जांच की उठी मांग

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राजनांदगांव। जिले के शिक्षा विभाग में एक बार फिर नियमों को ताक में रखकर शिक्षक की बहाली का मामला सामने आया है। आरोप है कि प्राथमिक शाला ठेकवा में पदस्थ सहायक शिक्षक विकास लाटा को बिना दिव्यांगता की जांच कराए बहाल कर दिया गया, जबकि उनके दिव्यांग प्रमाण पत्र की विश्वसनीयता पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने शिक्षक की दिव्यांगता पर संदेह जताते हुए बीते एक वर्ष से लगातार जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास बघेल से जांच की मांग की है। श्री पॉल का कहना है कि विकास लाटा के पास दो अलग-अलग दिव्यांगता प्रमाण पत्र हैं, जो स्वयं में संदेहास्पद हैं।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी अभय जयसवाल ने 2 अगस्त 2024 को विकास लाटा को निलंबित कर रायपुर स्थित राज्य मेडिकल बोर्ड से आर्डियोलॉजिकल जांच कराने का निर्देश दिया था, लेकिन जांच न कराते हुए उन्हें सेवा में बहाल कर दिया गया और निलंबन अवधि को सेवा में जोड़ लिया गया।
श्री पॉल ने आरोप लगाया है कि विकास लाटा ने फर्जी दिव्यांग बनकर आरक्षित पद पर नियुक्ति पाई है। यदि जांच कराई जाती, तो स्पष्ट होता कि वह दिव्यांगता की श्रेणी में आते भी हैं या नहीं। उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत के साथ दस्तावेजी प्रमाण लोक शिक्षण संचालनालय नवा रायपुर को भेजते हुए मांग की है कि राज्य मेडिकल बोर्ड से आर्डियोलॉजिकल जांच कराई जाए और यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो विकास लाटा को तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए।
शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई को लेकर अब सरकारी सेवा में पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठ रहे हैं। पैरेंट्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि मामले में शीघ्र और निष्पक्ष जांच नहीं की गईए तो आंदोलनात्मक कदम उठाया जाएगा।