मोहला। स्वास्थ्य विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला दो चरणों में संपन्न हुई। जिसमें जिले के 62 मितानिन प्रशिक्षक एवं 60 ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक शामिल हुए। कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व से अवगत कराना था। जिससे वे समुदाय स्तर पर बेहतर सेवाएँ प्रदान कर सकें।
कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसे शारीरिक स्वास्थ्य के समान महत्व देना चाहिए। यह भी स्पष्ट किया गया कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से अलग नहीं हैं और दोनों का आपसी तालमेल आवश्यक है। प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य की बुनियादी समझ, मानसिक रोगों की पहचान के संकेत, टेली-मानस जैसी उपलब्ध सेवाओं की जानकारी, आत्महत्या रोकथाम में स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका तथा किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों को यह सिखाया गया कि वे किस प्रकार मानसिक समस्याओं को प्रारंभिक स्तर पर पहचान कर समय रहते उचित मार्गदर्शन एवं रेफरल सेवाएँ उपलब्ध करा सकते हैं।
जिला स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशालाओं से स्वास्थ्यकर्मी मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को और अधिक समझ सकेंगे तथा जरूरतमंद लोगों को समय पर आवश्यक सेवाएँ प्रदान कर समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक वातावरण तैयार कर सकेंगे। कार्यशाला का संचालन सीएमएचओ डॉ.विजय खोबरागड़े के मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम का संयोजन जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ.राकेश वर्मा, यूनिसेफ प्रतिनिधि डॉ.गजेंद्र सिंह तथा राज्य परामर्शदाता सुश्री निधि दुबे द्वारा किया गया।