मुस्लिम समाज कल मनाएगा शबे कद्र, मजिस्दों से लेकर कब्रिस्तान में रातभर की जाएगी इबाबत

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राजनांदगांव। मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व रमजान का महीना अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। एक माह तक चलने वाले इस पर्व में 25 रोजे संपन्न हो चुके हैं। कल 27 मार्च को 26 रोजे पूरे होंगे। इसके साथ ही आज राजनांदगांव सहित पूरे देश भर में मुस्लिम समुदाय द्वारा शबे कद्र मनाया जाएगा। घरों के साथ-साथ मस्जिदों तथा कब्रिस्तान में रातभर इबादत की जाएगी। आज मस्जिदों में तराबीह का समाप्त होगी। साथ-साथ पवित्र कुरान भी मुक्कमल होगा।
जामा मस्जिद पठानपारा के अध्यक्ष (मुतव्वली) रईश अहमद शकील ने बताया कि मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा पर्व रमजान का महीना चल रहा है। आज 25 पूरे रोजे पूरे गए हैं। कल 27 मार्च को 26 वां रोजा है। इसी दिन मुस्लिम समुदाय द्वारा शबे कद्र मनाया जाता है। मस्जिदों में रात के समय होने वाली विशेष तराबीह की नमाज आज संपन्न होगी। पवित्र कुरान पूरी तरह से मुकम्मल हो जाएगा। उसके बाद मस्जिदों से लेकर कब्रिस्तान में समुदाय के लोगों द्वारा विधि-विधान के साथ रात भर इबाबत की जाएगी। लोग कब्रिस्तान में जाकर अपने-अपने रिश्तेदारों जो इस दुनिया से जा चुके हैं, उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह सिलसिला पूरी रात चलता रहेगा। उसके बाद सुबह 3 बजे से 27वें रोजे के लिए शायरी की जाएगी।
रईश अहमद शकील ने आगे बताया कि शबे कद्र की रातरब्बुल आलमीन का लाख लाख शुक व अहसान है कि उसने हमें इन्सानों में से पैदा किया। हिकमत वाली किताब पवित्र कुरआन अता फरमाई। हमारे प्यारे आका हुजूर पैगम्बर हजरत मुहम्मद सरकारे दो आलम की उम्मत-कौम को बेशुमार बरकत व फजीलत वाला पवित्र रमजान का महिना का तोहफा अता फरमाया है। इस माह में 30 रोजा (उपवास) जिसमें सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त होने तक लगभग साढ़े तेरह घंटा बिना खाना-पानी के बहुत सारी पाबंदियों सहित कड़ा व्रत का पालन जैसा नायाब तोहफा है। इसी महीने में 26 रोजे पूरे होने के बाद आने वाली रात, हजार रातों से बेहतर यह शबे कद्र की रात नाजिल फरमाई जिसमें मुसलमान अपने परवर दिगार को राजी करने के लिए रातभर नियम वचन से इबादत में अपना समय गुजारते है व अपने स्वर्गीय रिस्तेदारों से मिलने कब्रिस्तान जाकर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस्लाम के अनुयायी इस माह में रोजे रख कर, दिन में पांच बार की नमाज अदा कर, गरीब, बेसहारा, विधवा, बेवा व सामाजिक जरूरतमंद को जकात, खैरात, सदका, फितरा, दान, खाना, कपड़ा, दवाई व दिगर जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया व तराबी की सामूहिक नमाजें अदा की, जिसमें पवित्र कुरआन की आयतें पढ़ी जाती है, रब की इबादत (पूजा अर्चना), पवित्र कुरआन का पठन, जिक व अजकार का नजराना पेश किया, ऐसे ही लोग अपने रब (परवरदिगार) के करीब होंगें, उनके गुनाह (पाप) माफी के लायक होंगे।