रबी मौसम में धान के बदले कम पानी उपयोग वाली फसल का उत्पादन करने से जल संकट की स्थिति में मिलेगा स्थायी निजात : कलेक्टर

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राजनांदगांव। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे की अध्यक्षता में मिशन जल रक्षा अंतर्गत जिला पंचायत के सभाकक्ष में आज फसल विविधीकरण के संबंध में जिला स्तरीय एग्रीमीट कार्यशाला का आयोजन किया गया। फसल विविधीकरण कार्यशाला में कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, जल संसाधन विभाग, उद्योग विभाग, बीज निगम, ग्राम पंचायतों सरपंच, औद्योगिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, किसान उत्पादक संगठन, प्रगतिशील एवं समृद्ध किसान शामिल हुए। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने कहा कि रबी मौसम में कम पानी के उपयोग वाली फसलों का उत्पादन करेंगे, तो आने वाले समय में जल संकट की स्थिति से एक स्थायी निजात मिलेगी। उन्होंने कहा कि धान की फसल में सर्वाधिक पानी का उपयोग होता है। जिसके कारण जिले में भू-जल स्त्रोत का स्तर नीचे चला जा रहा है। इसके लिए किसानों को फसल विविधीकरण के संबंध में पाम्पलेट बनाकर किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग के मैदानी अमले को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि जिले में शत प्रतिशत फसल विविधीकरण होना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में फसल विविधीकरण संगोष्ठी आयोजित कर किसानों को जागरूक करने कहा।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने बताया कि रबी मौसम में धान की फसल लेने से जिले में जल स्तर कम होने का महत्वपूर्ण कारण है। उन्होंने कहा कि फसल विविधीकरण बहुत सारे फसलों का विकल्प है, लेकिन धान के बदले अन्य लाभकारी फसल मक्का एवं अन्य दलहन, तिलहन, लघु धान्य फसल का उत्पादन करेंगे तो किसानों को ज्यादा फायदा मिल सकता है। इसके लिए किसानों को जागरूक करने कहा। उन्होंने जिन स्थानों में पिछले वर्ष धान की खेती की गई थी, वहां पर मक्के की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने कहा। मक्के की खेती करने से किसानों को बहुत फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि मक्का फसल लेने से किसानों की आय बढ़ेगी और फसल उत्पादन में पानी भी कम लगेगा। उन्होंने कहा कि क्लस्टर में फसल लगाने से बंदर और मवेशियों से सुरक्षा मिल सकती है। उन्होंने कहा कि कोई किसान मक्के की खेती करता है तो उसका शत प्रतिशत मार्केटिंग के लिए सुविधा होगी। उन्होंने कृषि विभाग के मैदानी अमला और किसान उत्पादक संगठन को किसानों को मक्के की खेती के लिए प्रोत्साहित करने कहा। उन्होंने उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में किसानों के लिए मक्का बीज उपलब्ध कराने के लिए कहा। इस दौरान कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने जल संरक्षण के लिए सभी को शपथ दिलाई।
सीईओ जिला पंचायत सुश्री सुरूचि सिंह ने कहा कि जल संरक्षण के लिए नागरिकों में व्यवहार परिवर्तन कराना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिले में भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए लगातार जल संवर्धन के क्षेत्र में कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जिन स्थानों में धान की खेती की गई थी वहां पर जल स्तर नीचे चला गया है। इस तरह से जिले में भू-जल स्तर नीचे जाने से यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि रबी मौसम में धान की जगह कम पानी उपयोग वाली अन्य फसल लेने के लिए किसानों को मिशन मोड में जागरूक करना है। उन्होंने किसानों को धान फसल के अलावा मक्का फसल एवं अन्य मौसम आधारित फसलों में अधिक उत्पादन और आय के संबंध में जानकारी देने कहा। बैठक में प्रगतिशील एवं समृद्ध किसानों ने कहा कि समृद्ध किसान बनने के लिए धान की खेती को छोड़कर मक्का एवं अन्य फसल का उत्पादन करना होगा। बैठक में ग्राम पंचायतों के सरपंच, उप संचालक कृषि टीकम ठाकुर, सहायक संचालक उद्यानिकी, अनुविभागीय कृषि अधिकारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, औद्योगिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, किसान उत्पादक संगठन, प्रगतिशील एवं समृद्ध किसान तथा अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।