राजनांदगांव।(नांदगाँव टाइम्स) साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए राजनांदगांव पुलिस ने एक अंतर्राष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गुजरात और छत्तीसगढ़ से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो भारत में म्यूल बैंक अकाउंट्स उपलब्ध कराकर कंबोडिया स्थित कॉल सेंटर को भेजते थे। यह गिरोह हजारों भारतीयों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है।

कैसे होता था साइबर ठगी का खेल?
गिरोह के सदस्य भारत में लोगों से उनके बैंक अकाउंट किराए पर लेते या खरीदते थे। फिर इन खातों का विवरण कंबोडिया में स्थित स्कैम/कॉल सेंटर को भेजा जाता था। इन खातों में साइबर ठगों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त रकम जमा की जाती थी, जिसे बाद में नकद, बैंक ट्रांसफर या क्रिप्टोकरेंसी (USDT) के माध्यम से कंबोडिया भेज दिया जाता था।
गिरफ्तार आरोपी:
1. श्रेयणिक कुमार सांघवी (24), निवासी वलसाड, गुजरात। 2. शुभम तिवारी (26), निवासी डोंगरगढ़, राजनांदगांव। 3. दीपक नरेडी (27), निवासी बसंतपुर, डोंगरगढ़, राजनांदगांव
कैसे पकड़े गए आरोपी ?
पुलिस को 23 जनवरी 2025 को एक स्थानीय व्यापारी रूपेश साहू से शिकायत मिली थी कि उसके बैंक खाते में ठगी के 90,000 रुपये जमा होने के बाद खाता फ्रीज हो गया। जांच के दौरान आरोपी आशुतोष शर्मा का नाम सामने आया, जिसने पूछताछ में बताया कि श्रेयणिक उर्फ अजय मेहेर गिरोह का मुख्य सरगना है। इसके बाद पुलिस टीम ने गुजरात के वलसाड से श्रेयणिक को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने बताया कि वह 2024 में कंबोडिया गया था और वहां स्कैम कॉल सेंटर का हिस्सा बन गया।श्रेयणिक भारत लौटकर शुभम तिवारी, दीपक नरेडी और अन्य साथियों के माध्यम से बैंक अकाउंट, चेकबुक, एटीएम कार्ड और मोबाइल नंबर इकट्ठा करता था। इन खातों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों द्वारा ठगी के लिए किया जाता था। गिरोह ने अब तक 50 से अधिक बैंक खातों के माध्यम से करीब 10 करोड़ रुपये का लेनदेन किया।
क्या होता है “म्यूल अकाउंट” और कैसे होता है इसका दुरुपयोग?
“म्यूल अकाउंट” ऐसे बैंक खाते होते हैं जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी और साइबर अपराध के लिए किया जाता है। अपराधी किसी व्यक्ति को लालच देकर या धोखे से उसका बैंक अकाउंट इस्तेमाल करने की अनुमति ले लेते हैं। फिर इन खातों में अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं, जिसे बाद में कई खातों में भेजकर ट्रैकिंग मुश्किल बना दी जाती है।
कौन-कौन बन सकता है म्यूल अकाउंट होल्डर ?
1. वे लोग जो अनजाने में अपना बैंक अकाउंट दूसरों को देते हैं।
2. आर्थिक रूप से कमजोर लोग, जिन्हें पैसे का लालच देकर फंसाया जाता है।
3. कुछ लोग जानबूझकर भी अपराधियों के साथ मिलकर यह काम करते हैं।
इससे बचने के उपाय:
✔️ अनजान लोगों को अपना बैंक अकाउंट, एटीएम या मोबाइल नंबर न दें।
✔️ अगर कोई बड़ा कमीशन या इनाम देने की बात करे, तो सतर्क रहें।
✔️ अपने बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजैक्शन को नियमित रूप से चेक करें।
✔️ संदिग्ध गतिविधि मिलने पर तुरंत साइबर सेल या पुलिस को सूचित करें।
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी (318(4) BNS) और आईटी एक्ट (66C) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब म्यूल अकाउंट प्रोवाइड करने वाले अन्य गिरोहों की तलाश कर रही है।
राजनांदगांव पुलिस की अपील:
पुलिस ने जनता से अपील की है कि अपने बैंक अकाउंट को किराए पर न दें, न ही किसी को बेचें। ऐसा करना गैरकानूनी है, और इसमें शामिल पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।साइबर अपराध से बचें, सतर्क रहें!