विभाग का युक्तियुक्तकरण नीति विद्यार्थी हित में नहीं : फेडरेशन

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राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, जिला संरक्षक मुकुल साव, जिला अध्यक्ष पीआर झाड़े, पीएल साहू, सीएल चंद्रवंशी, जितेंद्र बघेल, बृजभान सिन्हा, वीरेंद्र रंगारी, सुधांशु सिंह, उत्तम डड़सेना, द्रोण साहू, अब्दुल कलीम खान, सोहन निषाद, संजीव मिश्रा, हेमंत पांडे, पुष्पेंद्र साहू, शिरीष पांडे, श्रीमती संगीता ब्यौहरे, सीमा तरार, नीलू झाड़े, अभिषिक्ता फंदियाल, स्वाति वर्मा, राजेंद्र देवांगन, सीआर वर्मा, हीरालाल गजभिए एवं अनिल साहू ने बताया कि प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी ने युक्तियुक्तकरण नीति के त्रुटिपूर्ण बिंदुओं के विरोध में ज्ञापन मुख्यमंत्री, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग एवं संचालक लोक शिक्षण संचालनालय छत्तीसगढ़ को दिया है।
उन्होंने बताया कि फेडरेशन ने शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण को कक्षाओं की संख्या एवं विषय आधारित किये जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने बताया कि युक्तियुक्तकरण नीति 28ध्4-2025 पूर्णतः 02.08.2024 का नकल है। जिसमें विद्यार्थी हित को पुनः अनदेखा किया गया है। फेडरेशन का कहना है कि प्राथमिक शिक्षा से विद्यार्थियों को कक्षावार विषय शिक्षक उपलब्ध नहीं होने से माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा स्तर के परीक्षा मूल्यांकन में गिरावट आ रहा है। सरकारी विद्यालयों के अधिकांश विद्यार्थी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से होते हैं।जोकि शाला के विद्यालय शिक्षण पर निर्भर रहते हैं, यदि दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया जाता है, तो विद्यार्थियों को कक्षावार विषय शिक्षक उपलब्ध नहीं होगा। जो कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के विरुद्ध है। अतः एनईपी के अनुसार युक्तियुक्तकरण नीति निर्देश बनाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रश्न किया कि विगत वर्ष में जो नीति त्रुटिपूर्ण था, हूबहू वही वर्तमान वर्ष में बिना सुधार के क्रियान्वयन करना युक्तिसंगत एवं व्यवहारिक नहीं है। सेटअप में परिवर्तन दोषपूर्ण है। इसे लागू करना बुद्धिमत्ता नहीं है। इससे शिक्षा व्यवस्था में प्रगति न होकर अध्ययन-अध्यापन का पतन ही होगा, यदि विद्यार्थियों का प्राथमिक स्तर से भाषा-विषय अवधारणा में स्पष्ट नहीं होगा तो माध्यमिक-हायर सेकेंडरी एजुकेशन में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायेंगे।
फेडरेशन का मत है कि सेटअप में कक्षाओं की संख्या तथा विषयमान से विद्यार्थियों को शिक्षक मिलना गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए आवश्यक है। फेडरेशन ने निम्नलिखित तथ्यों का उल्लेख कर ज्ञापन दिया है।
प्राथमिक विद्यालय
पहली से पांचवीं तक
कक्षाओं की संख्या-5
विषय संख्या-4
पीरियड-20
सेटअप-2008 में 1+2
सेटअप मापदंड 2022 में 1+2
दर्ज संख्या में वृद्धि पर अतिरिक्त सहायक शिक्षक के पद स्वीकृत है, लेकिन युक्तियुक्तकरण नीति 2025 में पुनः 11 किया जा रहा है।
जो कि युक्तियुक्त नहीं है। विचारणीय है कि 5 कक्षाओं को 1 प्रधानपाठक और 1 शिक्षक कैसे पढ़ायेंगे?
गैर शिक्षकीय कार्य अलग है
पूर्व माध्यमिक शाला
कक्षा छटवीं से आठवीं तक
कक्षाओं की संख्या-3
विषयों की संख्या-6
पीरियड-18
सेटअप 2008 में 1+4
सेटअप मापदंड 2022 में 1+4
दर्ज संख्या में वृद्धि पर अतिरिक्त शिक्षक के पद स्वीकृत है।
लेकिन, युक्तियुक्तकरण नीति 2024-25 में 1+3 किया जा रहा है।
जो कि युक्तियुक्त नहीं है।
6 विषय 18 पीरियड को 1 प्रधानपाठक और 3 शिक्षक कैसे पढ़ायेंगे विचारणीय है।
हाई स्कूल
विषय-6
पीरियड-12
सेटअप 2008 में 1+6
सेटअप मापदंड 2022 में 1+5
दर्ज संख्या के अनुपात में अतिरिक्त व्याख्याता का पद स्वीकृत है।
हायर सेकेण्डरी स्कूल
कक्षा 11 एवं 12 वीं
पीरियड-32
सेटअप 2008 में 1+11
(संकायवार)
सेटअप मापदंड 2022 में 1+9
दर्ज संख्या के अनुपात में अतिरिक्त व्याख्याता का पद स्वीकृत है।
व्यवस्थित अध्ययन-अध्यापन के लिए प्रत्येक विषय व्याख्याता की आवश्यकता है।
फेडरेशन का कहना है कि प्राथमिक शाला, पूर्व माध्यमिक शाला, हाई स्कूल-उच्चतर माध्यमिक के सेटअप में परिवर्तन किया जाना शिक्षा व्यवस्था के लिये घातक है। विषय अध्यापन व्यवस्था कैसे होगा? इस पर विचार किये बिना दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों की पदस्थापना करने की युक्तियुक्तकरण नीति शिक्षा व्यवस्था के लिए आत्मघाती कदम है। जिसके कारण न केवल वर्तमान पदस्थापना तथा भविष्य की पदोन्नति भी प्रभावित होगी। साथ ही, प्राथमिक-माध्यमिक के विद्यार्थियों को विषय-कक्षा शिक्षक से वंचित होना पड़ेगा। शिक्षकों में रोष व्याप्त है कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसे संभव होगा।
शिक्षक विहीन विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिये कक्षावार विषय शिक्षकों की उपलब्धता उचित है, लेकिन जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिये विषय शिक्षक उपलब्ध हैं, उनको दर्ज संख्या के आधार पर विषय शिक्षक विहीन करने का युक्तियुक्तकरण नीति अनुचित है। अतिशेष गणना में प्रधानपाठक प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक विद्यालय को शामिल करना पूर्णतः गलत है। पदोन्नति के पद को उसके फीडर पद के समकक्ष रखा जाना भर्ती नियम के विरुद्ध है। जो कि, शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी तीनों के लिए अहितकर है। युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण निर्देशों में सुधार आवश्यक है। विगत वर्ष 2024 में सचिव स्कूल शिक्षा एवं संचालक लोक शिक्षण को उपरोक्त तथ्यों से अवगत कराते हुए ज्ञापन सुधार का आग्रह किया गया था, लेकिन तथ्यों पर जमीनी हकीकत को युक्तियुक्तकरण 2025 के निर्देशों में पुनः नजरअंदाज किया गया है। फेडरेशन का कहना है कि उठाये गये तथ्यों पर सुसंगत निर्णय होते तक इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाया जाना उचित होगा स