डोंगरगढ़। गहराई के बगैर कोई भी ऊंचाई टिकाऊ नहीं हो सकती। आचार्य श्री के व्यक्तित्व की ऊंचाई जो हमें आपको दिखाई दे रही है, उसका कारण उनके विचारों की गहराई है। उपरोक्त उद्गार निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर महाराज ने प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। मुनि श्री ने कहा कि आचार्य श्री ने दिखावे को कभी पसंद नहीं किया। उन्होंने करने पर भरोसा रखा गुरवर का जीवन प्रयोजन प्रयोगधर्मी रहा प्रारंभ से ही उनके अपने ऊपर, संघ के ऊपर तथा समाज के ऊपर जैन तथा जैनेत्तर, पढ़े-लिखे, बिना पढ़े-लिखे प्रयोग किये तथा उनके प्रयोग फिल्टर होकर बढ़ते गये तथा सफलता मिलती चली गई। यही कारण है कि समूचे देश और पुरी दुनिया ने उनके विचारों को स्वीकार किया और उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुये। राष्ट्रीय प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी एवं क्षेत्रीय प्रचार-प्रसार प्रमुख निशांत जैन ने बताया प्रातःकाल मूलनायक भगवान चंद्रप्रभु का अभिषेक एवं मुनि श्री समतासागर महाराज के मुखारविंद से शांति धारा संपन्न हुई एवं समाधि स्थल पर आचार्य श्री के चरणों का अभिषेक निर्यापक मुनि संघ के सानिध्य में संपन्न हुआ तथा दोपहर में इस दिवस आचार्य गुरूदेव ने उपस्थित मुनि श्री समतासागर महाराज, मुनि श्री वीर सागर महाराज को निर्यापक की जिम्मेदारी तथा 18 क्षुल्लको का दीक्षा प्रदान की थी।
गहराई के बगैर कोई भी ऊंचाई टिकाऊ नहीं हो सकती : समतासागर महाराज
