राजनांदगांव। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के सहारे आरक्षित पद पर नौकरी पाने वालों पर अब शिकंजा कसना शुरू हो गया है। इसी कड़ी में विकास लाटा की दिव्यांगता को लेकर उठे सवालों के बाद अब उनकी जांच राज्य मेडिकल बोर्ड से कराए जाने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने मंगलवार को जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसे तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल को सौंपा गया।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने ज्ञापन में स्पष्ट किया कि विकास लाटा नामक शिक्षक के पास दो अलग-अलग दिव्यांगता प्रमाण पत्र हैं, जबकि वह वास्तविक रूप से दिव्यांग नहीं हैं। इस मुद्दे पर पिछले एक साल से लगातार शिकायतें की जा रही हैं, बावजूद इसके अब तक उनकी दिव्यांगता की जांच नहीं कराई गई। इससे दिव्यांग समाज में आक्रोश व्याप्त है।
बिना जांच के बहाल करने पर डीईओ पर उठे सवाल
पूर्व में छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल की शिकायत पर विकास लाटा को निलंबित किया गया था। लेकिन हाल ही में नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल द्वारा उन्हें बिना किसी जांच के पुनः बहाल कर दिया गया, जिससे दिव्यांग संघ ने नाराजगी जताई है।
20 अगस्त तक जांच कराने का आश्वासन

दिव्यांग संघ की मांग के बाद डीईओ प्रवास सिंह बघेल ने आश्वासन दिया है कि विकास लाटा की दिव्यांगता की जांच 20 अगस्त तक राज्य मेडिकल बोर्ड से कराई जाएगी। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो दिव्यांग संघ ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
डीईओ कार्यालय पर उठे सवाल
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ का कहना है कि जब एक वर्ष से विकास लाटा की दिव्यांगता को लेकर शिकायतें हो रही थीं, तब उन्हें बिना जांच के बहाल करना विभागीय लापरवाही का संकेत है। इस पूरे मामले से डीईओ कार्यालय अब कटघरे में आ गया है।
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे सभी फर्जी प्रमाण पत्रधारी कर्मचारियों की जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि वास्तविक दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा हो सके।