छुईखदान/खैरागढ़। जनपद पंचायत छुईखदान में वर्षों से बजट न बनाए जाने और मनमानी ढंग से करोड़ों रुपये खर्च किए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यह गंभीर वित्तीय लापरवाही अब प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन चुकी है। पंचायती राज अधिनियम और सामान्य वित्तीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए जनपद प्रशासन द्वारा बीते 5-6 वर्षों से न तो बजट तैयार किया गया और न ही किसी समिति से व्यय की स्वीकृति ली गई।
बिना स्वीकृति खर्च हुई राशि, वसूली की उठी मांग
सूत्रों की मानें तो जनपद पंचायत द्वारा नियमों को दरकिनार करते हुए बगैर अनुमोदन के बड़े पैमाने पर भुगतान किया गया है। अब मांग की जा रही है कि इस राशि की वसूली संबंधित अधिकारियों से कर जनपद के खाते में जमा कराई जाए।
एईओ ने किया खुलासा, नहीं बना वर्ष 2025-26 का बजट
जनपद पंचायत के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी गोपाल गिरी ने इस गंभीर चूक की पुष्टि करते हुए बताया कि कई वर्षों से बजट नहीं बनाया गया है। वर्ष 2025-26 के लिए भी अब तक कोई बजट तैयार नहीं हुआ है। नतीजतन कर्मचारियों को वेतन भुगतान और अन्य आवश्यक प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।
15वें वित्त आयोग की राशि का भी दुरुपयोग
बताया गया है कि 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत मिली राशि का उपयोग भी नियमों के विपरीत किया गया है। पहले से ही इस मामले में जांच लंबित है। अब जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों द्वारा मांग की जा रही है कि जांच प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण कर दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
जिला प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
सूत्रों के अनुसार, इस मामले में कई बार जनपद और जिला पंचायत खैरागढ़ को पत्राचार कर जानकारी मांगी गई, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। आरोप है कि जिला सीईओ द्वारा जान-बूझकर मामले को लंबित रखा जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग तेज
इस गंभीर वित्तीय गड़बड़ी को लेकर क्षेत्र में नाराजगी है। नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने पंचायत संचालनालय रायपुर से विशेषज्ञ वित्तीय टीम बुलाकर सूक्ष्म जांच कराने की मांग की है। साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने और जनधन की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से कदम उठाने की अपील की गई है।
यह मामला अब एक बड़े प्रशासनिक संकट का रूप ले चुका है और जल्द कार्रवाई नहीं होने पर जनआक्रोश बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।