सहकारिता विभाग की लापरवाही से किसानों पर खाद संकट, अशोक चौधरी ने उठाई कार्रवाई की मांग

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राजनांदगांव। भारतीय जनता पार्टी किसान नेता अशोक चौधरी ने कहा कि वर्तमान में रासायनिक खाद की जो किल्लत हुई है, इसमें सहकारिता विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की घोर लापरवाही बड़ी वजह है। ज्ञात हो कि प्रदेश में जितना उड़िया आता है उसका 60 प्रतिशत सहकारिता विभाग के संस्थाओं के माध्यम से किसानों को वितरित किया जाता है, 40 प्रतिशत रासायनिक खाद प्राइवेट दुकान वाले वितरित करते हैं, क्योंकि जो किसान नेशनलाइज्ड बैंक से लोन लेते हैं, उन्हें समिति की दुकान से रासायनिक खाद नहीं मिलता है, वे लोग प्राइवेट दुकानदारों से खाद खरीदने हैं इस बार पहले खेप में जो
रासायनिक खाद आया प्रदेश में और जिले में बैठे सहकारिता विभाग के पदाधिकारी ने प्राइवेट वालों को ज्यादा दे दिया और यह सोच के कि बाद में आने वाले खाद से प्रतिशत को बराबर कर लिया जाएगा, पहले खेप में प्राइवेट दुकानदारों को 75 प्रतिशत यूरिया दे दिया गया, जिसके कारण किसानों को रासायनिक खाद उपलब्ध नहीं हो पाया, क्योंकि बाद में चीन से आने वाली यूरिया खाद पर ब्रेक लग गया और सोसाइटी में खाद उपलब्ध नहीं हो पाया, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस में सहकारिता के मूल उद्देश्य की हत्या हो गई।
हमारे जनप्रतिनिधि जो बैंकों में पदस्थ हैं वे इस खेल को समझ नहीं पाए और किसान दर-दर भटकने को मजबूर हुआ। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूं की सहकारिता विभाग के पदाधिकारी की अनदेखी ने किसानों को चौगुने दाम पर रासायनिक खाद खरीदने के लिए मजबूर कर दिया। हमारे राज्य के कृषि मंत्री हमारे राज्य के सहकारिता विभाग के पदाधिकारी चिन्हित करके इन अधिकारियों को दंडित करें, ताकि भविष्य में इस तरह से किसानों की अनदेखी न हो।
हमारे किसान भाइयों को सलाह है कि भारत की सहकारिता क्षेत्र में खाद बनाने वाले इफको के द्वारा नैनो यूरिया या और नैनो डीएपी का निर्माण किया गया है, जो पौधे के लिए ज्यादा फायदेमंद है।
ज्ञात हो कि जब हम एक क्विंटल यूरिया खेत में छीटते हैं, अब केवल 25 से 26 किलो यूरिया ही पौधों को प्राप्त होता है, बाकि जमीन में पड़ा रह जाता है और हवा में घुल जाता है, जिससे खेत भी नुकसान होता है और नैनो यूरिया स्प्रे के माध्यम से छींटा जाता है, जो पूरा का पूरा पौधों को प्राप्त होता है, इसलिए किसान भाई बोरी वाली यूरिया की बजाय नैनो यूरिया का उपयोग अपने खेत में करें, यह अत्यधिक लाभदायक है,। कृषि वैज्ञानिक इसको करने की सलाह देते हैं।