छुरिया। जहां डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहीं छुरिया विकासखंड में झोलाछाप डॉक्टरों की बेतहाशा बढ़ती संख्या ने न केवल आम जनता की सेहत से खिलवाड़ किया है, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में 152 झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जो विभिन्न गांवों में निजी दवाखाने संचालित कर रहे हैं। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इन तथाकथित डॉक्टरों की न तो कोई प्रमाणित योग्यता सामने आई है, न ही चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त डिग्री उपलब्ध कराई गई है।
सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास इन झोलाछाप डॉक्टरों की पूरी सूची उपलब्ध है, तो अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या विभागीय अधिकारियों की चुप्पी किसी अंदरूनी संरक्षण का संकेत है?
खण्ड चिकित्सा अधिकारी के पास ऐसे मामलों में जांच करने और कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है, लेकिन विभागीय निष्कि्रयता ने इन फर्जी डॉक्टरों के हौसले बुलंद कर दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ये डॉक्टर बेखौफ होकर न केवल इलाज कर रहे हैं, बल्कि कई बार गंभीर बीमारियों का गलत इलाज कर मरीजों की जान को भी खतरे में डाल चुके हैं।
कानूनन, बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के किसी भी व्यक्ति को इलाज की अनुमति नहीं है। ऐसे में इन झोलाछाप डॉक्टरों की योग्यता और डिग्री की जांच अनिवार्य है। यदि जांच में गड़बड़ी पाई जाती है, तो इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है।
यह आवश्यक हो गया है कि स्वास्थ्य विभाग ऐसे मामलों में तत्परता दिखाए और ग्रामीण जनता के स्वास्थ्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ को रोके।
इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, राजनांदगांव डॉ. नेतराम नवरतन से बात की गई, तो उन्होंने कहा अभी तक किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत रूप से कोई शिकायत नहीं की गई है। शिकायत मिलने पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
सवाल यह है कि जब विभाग के पास स्वयं 152 झोलाछाप डॉक्टरों की सूची उपलब्ध है, तो शिकायत की प्रतीक्षा क्यों की जा रही है? क्या जनता की जान से जुड़ा यह मामला स्वतरू संज्ञान लेने लायक नहीं है?
अब देखना होगा कि प्रशासन कब जागता है और इन फर्जी डॉक्टरों पर कार्रवाई की शुरुआत कब होती है।
छुरिया विकासखंड में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार, स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
