राजनांदगांव। प्रख्यात जैन संत श्री विनय कुशल मुनि के सुशिष्य एवं 171 दिन तक उपवास का रिकॉर्ड बनाने वाले जैन मुनि वीरभद्र (विराग) जी ने कहा कि मोक्ष का लक्ष्य और संयम का पक्ष रखकर आराधना करें तो आप निश्चित ही सफल होंगे। उन्होंने कहा कि संसार का सम्यक दर्शन आपके पास है, बस जरूरत है चकरी फेरने की।
जैन बगीचा स्थित उपाश्रय भवन में मुनि वीरभद्र (विराग) जी ने कहा कि सम्यक दर्शन के लिए आवश्यक चीज जो है वो अनुकंपाएसंवेगए दयाए समता आदि है। उन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को पढ़ने के लिए कितने ही दुख हंसते-हंसते झेल लेते हैं। यह हमारी सहनशीलता को दर्शाती है। हमें गरीबों को देखकर दया आती है और ज्ञानियों को अज्ञानियों को देखकर दया आती है। यह अनुकंपा ही तो है। हमने भी गरीबी दूर करने के लिए अनेक मेहनत की। उन्होंने कहा कि लाखों रुपए का ग्राहक यदि हमें गाली भी बकता है तो हम उसे सहन करते हैं। यह हमारी सहनशीलता का प्रतिरूप है। सम्यक दर्शन हमारे पास है लेकिन हम उसे धर्म से लाने का प्रयास नहीं करते।
मुनि वीरभद्र (विराग) जी ने कहा कि हम कठपुतली का जीवन जी रहे हैं। कोई हमें हंसाने के लिए रिमोट का बटन दबा देता तो हम हंस देते हैं और कोई हमें रुलाने के लिए रिमोट का बटन दबाता है तो हम रो लेते हैं। सुख कहां है? उन्होंने कहा कि मिथ्यात्व को दूर कर सम्यक दर्शन प्राप्त करें। एक बार यदि सम्यक दर्शन आ जाए तो दुनिया को देखने का नजरिया ही बदल जाएगा।
मुनि श्री वीरभद्र (विराग) जी ने कहा कि सुख सबको चाहिए, लेकिन सुख किससे मिलने वाला है, यह हम नहीं जानते! सुख पुरुषार्थ द्वारा प्रकट अवश्य होता है, लेकिन वह मिलेगा कैसे, यह हम नहीं जानते। थोड़ी देर के लिए मजा और दीर्घकाल के लिए सजा या फिर थोड़ी देर के लिए सजा और दीर्घकाल के लिए मजा, इसमें से हमें क्या चाहिए यह हमें ही चुनना है। उन्होंने कहा कि सम्यक दृष्टि से आत्मा स्वाभिमानी बनती है। मोक्ष का लक्ष्य और संयम का पक्ष रखकर साधना करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। यह जानकारी मीडिया प्रभारी विमल हाजरा ने दी।
Wednesday, October 15, 2025
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