राजनांदगांव जिला अध्यक्ष चयन पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा

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राजनांदगांव। आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष के मनोनयन को लेकर पूरे जिले में घमासान मच गया है। आम आदमी पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने प्रदेश संगठन के पदाधिकारी पर नियम तोड़कर पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर मनमाने ढंग से जिला अध्यक्ष के पद पर नियुक्त करने का गंभीर आरोप लगाया है, उनका कहना है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के चयन प्रक्रिया को राजनांदगांव में पूरी तरह से नजर अंदाज किया गया है।
जानकारी के अनुसार कोर कमेटी के द्वारा जो नाम पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी को लिखित में जिले के कमेटी के सदस्यों का हस्ताक्षर कर कर सर्वसम्मति से लिए गए नाम को अनदेखा कर प्रदेश के संगठन के पदाधिकारी ने पैसे के बल पर कुछ महीने पूर्व पार्टी में शामिल हुए व्यक्ति को जिला अध्यक्ष बना दिया गया है। जिले के आप पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इसे पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए गहरी नाराजगी व्यक्त की है, उनका कहना है कि यदि इस निर्णय को प्रदेश के पदाधिकारी द्वारा वापस नहीं लिया गया, तो जिले के बहुत से कार्य करता पार्टी छोड़ने मजबूर हो जाएंगे। कार्यकर्ताओं ने दो टूक कहा कि बिना परीक्षा बैठे फर्स्ट डिवीजन से पास होना अब आम बात हो गई है।
कभी दिल्ली की गलियों से उठी ईमानदारी की आवाज, जिसने आम आदमी के सपनों को परवाज दी थी, वही पार्टी आज छत्तीसगढ़ में अपने ही सिद्धांतों से भटकती नजर आ रही है। लोगों के दिलों में जगह बनाने वाली आप का बदलता रूप अब निराशा का कारण बन गया है। पार्टी, जो भ्रष्टाचार और पूंजीवाद के खिलाफ बनी थी, उसी पर अब पूंजीपतियों की छाया हावी हो रही है।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खासकर दुर्ग संभाग में पार्टी की कमान कुछ प्रदेश के पदाधिकारी अब चंद धनाढ्य पूंजीपतियों के हाथों में केंद्रित हो गई है। यहां पार्टी का स्वरूप जमीनी कार्यकर्ताओं और आम जनता की बजाय उन लोगों की ओर झुकता दिख रहा है, जिनके पास धन और प्रभाव है। इससे संगठन के निचले स्तर पर हताशा और नाराजगी का माहौल है।
राजनांदगांव, बेमेतरा, कवर्धा, बालोद जिले में सबसे बड़ा सवाल पदाधिकारियों के चयन को लेकर खड़ा हो रहा है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मेहनतकश और जमीनी लोगों को दरकिनार कर, केवल आर्थिक ताकत और रसूख वाले लोगों को अहम जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। यही वजह है कि संगठन की साख सवालों के घेरे में है और पार्टी की आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लग रहे हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर एक बड़ा खेमा असंतोष से भर दिया है। खबरें हैं कि यह खेमा अब राष्ट्रीय नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाने की तैयारी कर रहा है। कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के लिए संगठन स्तर पर दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। यदि यह शिकायत राष्ट्रीय स्तर तक जाती है तो छत्तीसगढ़ इकाई में बड़ा भूचाल आ सकता है।
आम आदमी पार्टी, जिसने छत्तीसगढ़ में भी उम्मीद की राजनीति का वादा किया था, उसके बदलते स्वरूप ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों दोनों को हताश किया है। जनता अब सवाल पूछ रही है, क्या यह वही पार्टी है, जिसने कभी भ्रष्टाचार और पूंजीवाद को चुनौती दी थी? या फिर छत्तीसगढ़ में आप भी उन दलों की कतार में खड़ी हो गई है, जिनकी दिशा और दशा पूंजी के इर्द-गिर्द घूमती है।