रानी रश्मि देवी सिंह शासकीय महाविद्यालय खैरागढ़ में राज्य स्तरीय विज्ञान कार्यशाला संपन्न

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खैरागढ़। रानी रश्मि देवी सिंह शासकीय महाविद्यालय, खैरागढ़ के विज्ञान संकाय एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में साइंटिफिक इनोवेशन इन ग्रीन सोसाइटी विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित एवं एसबीआई के विशेष सहयोग से संपन्न हुई।
कार्यशाला के प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. डाकेश्वर वर्मा (सहायक प्राध्यापक, रसायन शास्त्र विभाग, शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय) तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में जेण्केण् वैष्णव (पूर्व छात्रसंघ प्रभारी) उपस्थित रहे। डॉ. वर्मा ने औषधीय पौधों के उपयोग, बीमारियों की रोकथाम के प्राकृतिक उपायों एवं विज्ञान के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर विद्यार्थियों से संवाद किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. ओपी गुप्ता ने अपने उद्बोधन में विज्ञान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए प्लास्टिक के दुष्प्रभावों और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कार्यशाला के लिए फंड उपलब्ध कराने हेतु छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद का आभार व्यक्त किया तथा विद्यार्थियों की प्रतिभा की सराहना की।
विशिष्ट अतिथि जेके वैष्णव ने पर्यावरण एवं विकास के संतुलन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हरित समाज के निर्माण में युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। कार्यशाला में मॉडल और पोस्टर प्रतियोगिता भी आयोजित हुई, जिनका मूल्यांकन प्रोण् भागवत राम वर्मा और डॉ. डाकेश्वर वर्मा ने किया।
समापन सत्र की मुख्य अतिथि डॉण् जयती बिस्वास (प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय छुईखदान) रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए निरंतर कार्य करने की प्रेरणा दी। समापन के बाद सभी प्रतिभागियों एवं सलाहकार समिति के सदस्यों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
कार्यक्रम का संचालन यशपाल जंघेल ने किया। कार्यशाला की संयोजक श्रीमती मनीषा नायक, सचिव सुश्री बभीता मंडावी और सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. जेके साखरे, सुरेश आडवाणी, सतीश माहला, सृष्टि वर्मा, मोनिका जत्ती सहित अतिथि व्याख्याता डॉ. उमेंद कुमार चंदेल, परमेश्वरी टांडिया, शबाना खान, खेमपाल, ऐश्वर्या वर्मा, राकेश वर्मा, निशा दुबे और खुशबू सिन्हा की विशेष भूमिका रही।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्राध्यापकगण, शोधार्थी, स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थी शामिल हुए।